अजब-गजब संयोग / पहली बार चुनावी मैदान में उतरीं 5 दागियों की पत्नियां

रांची (जीतेंद्र कुमार). 2019 के विधानसभा चुनाव में अजब-गजब संयाेग बनता दिख रहा है। इस बार विधानसभा क्षेत्राें में चुनाव की उल्टी गिनती हाे रही है। क्रम संख्या में सबसे अंतिम विधानसभा क्षेत्र का चुनाव पहले और पहले विधानसभा क्षेत्र का चुनाव अंतिम चरण में होगा। राजमहल झारखंड का पहला विधानसभा क्षेत्र है और 81वां व अंतिम विधानसभा क्षेत्र भवनाथपुर है। राजमहल का चुनाव पांचवें और अंतिम चरण में है, जबकि भवनाथपुर का पहले चरण में 30 नवंबर काे।वहीं, पहली बार चुनावी मैदान में पांच दागियों की पत्नियाें ने माेर्चा संभाला है ताे  भाजपा से दाे प्रमुख “राय' की छुट्टी हाे गई है।


पति की जगह राजनीति में संभाला मोर्चा


राज्य गठन के बाद पहली बार तीन दागियों, अारोपियों व दोषियों की पत्नियां चुनाव लड़ रहीं हैं। गोमिया में योगेंद्र महतो की पत्नी बबिता देवी, सिल्ली में अमित महतो की पत्नी सीमा महतो, झरिया में संजीव सिंह की पत्नी रागिनी देवी, छतरपुर में मनोज भुइयां की पत्नी पुष्पा देवी व लोहरदगा में कमल किशोर भगत की पत्नी नीरू शांति भगत चुनाव मैदान में हैं।


भाजपा से दाे 'राय' की छुट्टी, सरयू राय और रवींद्र राय बेटिकट


भाजपा में दो प्रमुख राय थे। सरयू राय और रवींद्र राय। सरयू राय को अंतिम समय तक टिकट दिये जाने की घोषणा नहीं होने पर वे निर्दलीय हो गये। लोकसभा के बाद विधानसभा में भी रवींद्र राय को टिकट नहीं मिलने के बाद वे चुनाव मैदान से बाहर हैं।


सभी दलाें के प्रमुख अपने क्षेत्र में परेशान
चुनाव लड़ रहे दलाें के प्रमुखाें काे अपने ही विधानसभा क्षेत्र में कड़ी चुनाैती मिल रही है। बाहर निकलने की जगह वे अपने ही विधानसभा क्षेत्र में घिरे हुए हैं। धनवार में झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी तो लोहरदगा में कांग्रेस प्रमुख डॉ रामेश्वर उरांव। चक्रधरपुर में भाजपा अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा तो दुमका में झामुमो के सह प्रमुख हेमंत सोरेन। जरमुंडी में लोजपा प्रमुख वीरेंद्र प्रधान तो सिल्ली में अाजसू प्रमुख सुदेश कुमार महतो।


घोषणा से पहले चुनाव लड़ने की घोषणा, पर नहीं मिला टिकट


चुनाव की घोषणा से पहले दो नेताओं ने चुनाव लड़ने की घोषणा की। पांकी से ब्रह्मदेव प्रसाद और हटिया से सीमा शर्मा। दोनों भाजपा टिकट के दावेदार थे। लेकिन दोनों ही बेटिकट हो गये। इसमें जीत केवल शशिभूषण मेहता की हुई।


पहला दल जिसमें उम्मीदवार नहीं


राजद से अलग होकर गौतम सागर राणा ने राष्ट्रीय जनता दल (जनतांत्रिक) का गठन किया। प्रदेश राजद के अध्यक्ष पद से हटाये जाने से नाराज राणा ने इस नई पार्टी का गठन किया है। लेकिन एेसी तैयारी नहीं हो सकी कि वे एक भी सीट पर अपना प्रत्याशी खड़ा कर सकें।